A Guide To Make Money With Your Bee Product : अपने मधुमक्खी उत्पाद से पैसे कमाने की मार्गदर्शिका

Unlock the potential of your beekeeping hobby and learn how to make money with your bee products.

इस लेख मे हम जानेंगे की मौजूदा खाद्य मार्किट मे मधु मक्खी पालक अपने प्रॉडक्ट की किस एट्रिब्यूट/ गुण  पर काम करके रिटेल बाजार  / Honey Market मे अलग पहचान बना सकता है ? तथा वह किस तरह अपने प्रोडक्ट को सीधे ग्राहकों को लुभाते हुए बेच सकते है और अच्छा मुनाफा कमा सकते है I  

अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाने के लिए सबसे पहले जरुरी है की हम एक बार मार्किट की एक एनालिसिस कर ले और मौजूदा डोमेस्टिक या अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की क्या आवश्कताये है ये जान लेना आवश्यक है |

मौजूदा बाजार की क्या आवश्यकताएँ हैं?

पैकेजिंग

शहद की मार्केटिंग के लिए / “For Marketing of Honey”  पैकेजिंग किसी भी प्रोडक्ट का बेचने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है | उत्पाद की बिक्री में अच्छी पैकेजिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है| इससे यह उपभोक्ता के मन में रुचि पैदा करता है कि उत्पाद वास्तव में क्या है?

आजकल कुछ मधुमक्खी पालक/Beekeeper अपना शहद गांवों और कस्बों के बाजारों में जो भी कंटेनर उपलब्ध होते हैं, उसमें बेचते हैं। खराब स्थानों में, यह पेय की बोतलों में हो सकता है। शहद के विपणन के लिए कंटेनर हल्का और कम लागत वाला होना चाहिए, और अधिमानतः पारदर्शी होना चाहिए ताकि ग्राहक उत्पाद देख सकें।

कांच के जार का उपयोग अक्सर शहद बेचने के लिए एक कंटेनर के रूप में किया जाता है लेकिन कांच के जार भारी, आसानी से टूट सकते  है और खाली होने पर एक साथ नहीं रखे जा सकते हैं। प्लास्टिक के कंटेनर बहुत हल्के होते हैं और अच्छी तरह से संभाले जा सकते  हो, इसके साथ ही इनको टेम्पर सील किया जाना चाहिए |

Packaging of the honey jar is very essential to attract the consumer Honey Market kya hai

शहद को आमतौर पर 450 या 500 ग्राम या एक पौंड वजन के कांच के जार में पैक किया जाता है, और विभिन्न देशों में
शहद विपणन / मार्केटिंग लिए उनके अपने मानदंड है ।
मध्य और पूर्वी यूरोप (Middle and Eastern Europe) में शहद एक किलोग्राम जार में बेचा जाता है, और कैरिबियन में, रीसाइकल्ड रम की  बोतलें (Recycled Bottles of Rum) शहद के विपणन के लिए स्वीकृत मानदंड हैं। मुख्य रूप से खानपान व्यापार के लिए छोटी मात्रा में लगभग 25 ग्राम के पन्नी या प्लास्टिक के कंटेनर में बेचा जाता है। यह उन लोगों को शहद बेचने का एक लोकप्रिय तरीका है जो बड़ी मात्रा में शहद नहीं खरीद सकते।

एक रिसर्च के अनुसार मधुमक्खियों की तस्वीरें ग्राहकों को शहद खरीदने के लिए आकर्षित नहीं करतीं क्योकि बहुत से लोग कीड़ों से डरते हैं!

उपभोक्ता के लिए अतिरिक्त उत्पाद जानकारी प्रदान करना अक्सर मूल्यवान होता है। उदाहरण के लिए, कोंब हनी  के लिए, खरीदार को याद दिलाना उपयोगी होता है कि कोंब  शहद पूरी तरह से खाने योग्य है, 

या फिर फिल्टर्ड हुए शहद को बेचने के लिए, कभी-कभी शहद में दाने की व्याख्या करना आवश्यक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई उपभोक्ताओं का मानना है कि क्रिस्टलीकरण शहद में चीनी मिलाए जाने का संकेत है।

प्रोडक्ट की लेबलिंग / Labelling of Product 

शहद/Honey एक ऐसा उत्पाद है जो दिखने में और लेबल पर दी गई जानकारी के अनुसार बिकता है। यह आम तौर पर सभी जानकारी है  जैसे की कलेक्शन की प्रोसेस और सोर्स यानी की किस नेक्टर से कलेक्ट किया गया है उपभोक्ता को उत्पाद खरीदने ले लिए एक रूचि उत्त्पन करता है ।

उदाहरण के लिए, उपभोक्ता के लिए केवल देखकर यह जानना संभव नहीं है कि उत्पाद प्रामाणिक शहद है या नहीं। इसलिए आकर्षक, जानकारीपूर्ण और प्रभावी लेबलिंग महत्वपूर्ण है। शहद की सटीक भौगोलिक उत्पत्ति का संकेत देते हुए उसका विपणन करना सबसे अच्छा है: यह उपभोक्ता को उत्पाद में विश्वास दिलाता है, और वह कुछ हद तक एक फूल या एक क्षेत्र के साथ पहचान और कल्पना कर सकता है।

ग्राहकों को उत्पाद की ओर आकर्षित करने के अलावा, शहद पर लगे लेबल में निम्नलिखित जानकारी होनी चाहिए:
1. सामग्री: शहद। (Item Type: Honey-Processed or Raw)
2. उदाहरण के लिए शहद का स्रोत: सूरजमुखी, मिश्रित बौर, वन शहद। (Variety of Honey)
3. वह देश और जिला जहां इसका उत्पादन किया गया था। (Source of Honey)
4. मधुमक्खी पालक का नाम और पता। (Manufacturer Details)
5. पात्र में शहद का भार। (Weight of Item)
6. पैकिंग की तारीख (या मधुमक्खी पालक का अपना कोड) (Packaging Date)

क्या आप जानते है ! दुनिया का सबसे बड़ा Honey Market या बोले तो सबसे बड़ी इम्पॉर्टिंग कंट्री सयुंक्त राज्य अमेरिका है |  उसके बाद क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर जर्मनी और जापान का नंबर आता है |

शहद प्रामाणिकता

Honey Market में शहद की प्रामाणिकता के दो अलग-अलग पहलू हैं। इनमें से पहली इसकी सामग्री के संदर्भ में है  यानी कि यह 100 प्रतिशत असली शहद है और अर्टिफिकल स्वीटनर से  दूषित नहीं है। दूसरा इसके विवरण के विषय में : भौगोलिक और वानस्पतिक मूल।

अव्वल दर्ज़े की क्वालिटी |

शहद मे मिलावट एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान किया जाना चाहिए। निम्न-गुणवत्ता या कृत्रिम अवयवों का व्यापक उपयोग, जैसे कि उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप या सुगर सिरप शहद की क्वालिटी को कम करता है और उपभोक्ता के स्वास्थ्य लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है।

एक्सपर्ट इन असली और नकली के बीच के अंतर को परखने में सक्षम होते हैं, लेकिन अंतर को साबित करने के लिए प्रयोगशाला परीक्षणों की आवश्यकता होती है जिससे उपभोक्ताओं में विश्वास का का निर्माण हो कि वे जो उत्पाद खरीद रहे हैं वह असली है।

यूरोपीय संघ और अन्य बाजार शहद के लेबल पर अक्षरों के आकार को निर्धारित करते हैं। हालांकि, आयातक देशों की पैकेजिंग आवश्यकताएं अक्सर निर्यातकों को प्रभावित नहीं करती हैं, क्योंकि आमतौर पर आयातक / इम्पोर्टर  ही अंतिम पैकेजिंग के लिए जिम्मेदार होते हैं।

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मधुमक्खी पालकों के सामने आने वाली चुनौतियां

जंगल में या उसके आस-पास रहने वाले या अन्य दूरस्थ और गरीब क्षेत्रों में काम करने वाले मधुमक्खी पालकों और शहद के शिकारियों को अपने उत्पादों के लिए बाजार खोजने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

  • शहद के भंडारण, परिवहन और विपणन के लिए उपयुक्त कंटेनरों तक पहुंच का अभाव।
  • खुदरा पैकेजिंग सामग्री की खराब विविधता।
  • परिवहन व सड़कों का अभाव।
  • संचार की संभावनाओं का अभाव।
  • लेनदेन के नियमों और शर्तों पर बातचीत करने में असमर्थ
  • संगठनात्मक समर्थन का अभाव।
  • प्रशिक्षण और तकनीकी सलाह का अभाव, या खराब गुणवत्ता प्रशिक्षण।
  • उचित रूप से प्रशिक्षित सहायक कर्मियों या सूचना सामग्री का अभाव।
  • उत्पाद की कम कीमतें।
  • संभावित खरीदारों और अन्य उत्पादकों के साथ व्यापारिक संबंध।

मधुमक्खी पालन उद्योग/ Beekeeping Industry के लिए क्या बाधाएँ हैं

एक क्षेत्र के रूप में यह मधुमक्खी पालन / Beekeeping सेक्टर कुछ लॉबिंग पावर की वजह से एक बुरी स्तिथि में है |और गरीब देशो जैसे की भारत  और बांग्लादेश  के शहद उत्त्पादको की  स्थिति और दयनीय होने की और अग्रसर है जिसके मुख्य कारण निम्नलिखित है :

  • जैसे की उपयुक्त विस्तार सामग्री का अभाव।
  • मार्केटिंग करने के सही  जानकारी का अभाव।
  • कुशल प्रशिक्षकों की कमी।
  • मधुमक्खी पालकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले मजबूत संगठनों का अभाव।
  • उत्पादकों और खरीदारों के बीच खराब संबंध।
  • मधुमक्खी पालन और बागवानी, वानिकी सहित अन्य क्षेत्रों के बीच बहुत कम समन्वय
  • उद्योग की सुरक्षा के लिए मधुमक्खी पालन नीतियां का नहीं होना हैं।
  • शहद मानदंड पर कोई वैश्विक समझौता नहीं।

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